दोहा पंचक. . . . संबंध
दोहा पंचक. . . . संबंध
अर्थ लोभ की रार में, मिटा खून का प्यार ।
रिश्ते सब आहत हुए, शेष रही तकरार ।।
वाणी कर्कश हो गई, मिटी नैन से लाज ।
संबंधों में स्वार्थ की, मुखर हुई आवाज ।।
प्यार मिटा पैदा हुई, रिश्तों में तकरार ।
फीके – फीके हो गए, जीवन के त्योहार ।।
दिखने को ऐसा लगे, जैसे सब हों साथ ।
वक्त पड़े तो छोड़ता, खून, खून का हाथ ।।
आपस में ऐसे मिलें, जैसे हों मजबूर ।
निभा रहे संबंध सब , जैसे हो दस्तूर ।।
सुशील सरना /1-2-25