Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2025 · 1 min read

sp66 लखनऊ गजब का शहर

sp66 लखनऊ गजब का शहर
**************************

लखनऊ गजब का शहर मिलता ओर छोर नहीं
जिसकी जगह ले सकता कोई शहर और नहीं

कल हजरतगंज में थी रौनक और आज भी है
और उसके पास ही तो एक नरही मोहल्ला और भी है

बीता था जहां बचपन वो दौर गजब का था
जीवंत सा लगता है लम्हों में अजब सा था

डिप्टी मेवा रामगंज नरही का अहाता था
बाजार से निकलकर कॉफी हाउस जाता था

दूकाने बहुत सारी और सब्जी मंडी भी थी
बाजार की ये खूबी सब कुछ मिल जाता था

हलवाई की दुकानें भी मशहूर वहां की हैं
वह दूध गरम हरदम कुल्हड़ में पिलाता था

मिलती थी मिठाई भी और गरम समोसे भी
घेवर के साथ-साथ मिलते थे गर्म अनरसे भी

दुकान पतंगों की निराली थी गजब रौनक
चरखी सद्दी और रील की थी गजब रौनक

कापीऔर किताबों की दुकान वहां पर थी
वो यार हमारा था जिसकी दुकान वहां पर थी

बस सड़क पार करलो कॉफी हाउस आ जाता
और डोसा खाने को मन अपना मचल जाता

फिर गंज का चक्कर भी सब यार लगाते थे
प्रिंस फिल्मीस्तान के सामने चौकड़ी जमाते थे

वह दिन जो चले गए वापस नहीं आने आएंगे
अपनी यह कविताएं लिखकर हम खुद को भरमाएंगे

पर मेरे यह नगमे दुनिया को सच बतलाएंगे
मेरा लखनऊ ऐसा मैंने देखा जैसा सामने लाएंगे
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब

45 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manoj Shrivastava
View all

You may also like these posts

गुब्बारा
गुब्बारा
अनिल "आदर्श"
साथ अपना कभी नहीं खोना
साथ अपना कभी नहीं खोना
Dr fauzia Naseem shad
5. *संवेदनाएं*
5. *संवेदनाएं*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
जहर है किसी और का मर रहा कोई और है
जहर है किसी और का मर रहा कोई और है
Anil Kumar Mishra
221 2122 2 21 2122
221 2122 2 21 2122
SZUBAIR KHAN KHAN
माॅं का जाना
माॅं का जाना
Rashmi Sanjay
कर्म की खुशी
कर्म की खुशी
Sudhir srivastava
जैसा इंसान सोचता है वैसा ही वहां पहुंचता है।
जैसा इंसान सोचता है वैसा ही वहां पहुंचता है।
Rj Anand Prajapati
तितलियों जैसे पल।
तितलियों जैसे पल।
Kumar Kalhans
अनीति का प्रचार
अनीति का प्रचार
मनोज कर्ण
शरीफ कम, समझदार ज्यादा हो गए हैं लोग ll मजबूर कम, मक्कार ज्य
शरीफ कम, समझदार ज्यादा हो गए हैं लोग ll मजबूर कम, मक्कार ज्य
पूर्वार्थ
आई सी यू
आई सी यू
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
तुम गए कहाँ हो 
तुम गए कहाँ हो 
Amrita Shukla
“फेसबूक मित्रों की बेरुखी”
“फेसबूक मित्रों की बेरुखी”
DrLakshman Jha Parimal
बंदे को पता होता कि जेल से जारी आदेश मीडियाई सुर्खी व प्रेस
बंदे को पता होता कि जेल से जारी आदेश मीडियाई सुर्खी व प्रेस
*प्रणय प्रभात*
ग़लत बोलते है, बिगाड़े  रखा है।
ग़लत बोलते है, बिगाड़े रखा है।
ओसमणी साहू 'ओश'
*धर्मपत्नी श्रीमती मंजुल रानी को जन्मदिन की बधाई (कुंडलिया)*
*धर्मपत्नी श्रीमती मंजुल रानी को जन्मदिन की बधाई (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !!
जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !!
महेश चन्द्र त्रिपाठी
प्रकृति से हमें जो भी मिला है हमनें पूजा है
प्रकृति से हमें जो भी मिला है हमनें पूजा है
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
सावन में मन मनचला,
सावन में मन मनचला,
sushil sarna
3669.💐 *पूर्णिका* 💐
3669.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -195 के श्रेष्ठ दोहे
बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -195 के श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैं तुझसे मोहब्बत करने लगा हूं
मैं तुझसे मोहब्बत करने लगा हूं
Sunil Suman
वक़्फ़ बोर्ड
वक़्फ़ बोर्ड
विजय कुमार अग्रवाल
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो - संदीप ठाकुर
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मुहब्बत का मौसम है, बारिश की छीटों से प्यार है,
मुहब्बत का मौसम है, बारिश की छीटों से प्यार है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अब जी हुजूरी हम करते नहीं
अब जी हुजूरी हम करते नहीं
gurudeenverma198
किसी की याद में आंसू बहाना भूल जाते हैं।
किसी की याद में आंसू बहाना भूल जाते हैं।
Phool gufran
"हमारे दर्द का मरहम अगर बनकर खड़ा होगा
आर.एस. 'प्रीतम'
ए खुदा - ए - महबूब ! इतनी तो इनायत कर दे ।
ए खुदा - ए - महबूब ! इतनी तो इनायत कर दे ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...