मत करो किसी से राड़ बाड़ (38)
मत करो किसी से राड़ बाड़ मन में शान्ति धारो। ।
नहीं छोटा बडा कोई ऊँच नीच ना जातिवाद विचारो ।।
मजदूरों मजलूमों पर यदि अत्याचार करोगे।
भूखे ही मर जाओगे, बिन पानी प्राण तजागे।।
गुलाम की भांति मार पीटकर. सीधा नरक सिधारो।। १।।
नहीं छोटा बडा कोई ऊँच नीच ना जातिवाद विचारो ।।
दुर्बल को न सताईये जाकि मोटी हाय।
मुई खाल की स्वांस सो, सार भस्म हो जाये।
कर्मफल की रीति यही है. अपना समय विचारो ।।२।।
नहीं छोटा बडा़ कोई ऊँच नीच ना जातिवाद विचारो ।।
नहीं रोटी माता- पिता को है, वृद्धाश्रम उन्हें पठाओ।
उनके बने महल मैं सोते, होटल में मौज उडा़ओ।
ये करनी भरनी पडे़, पुत्र अपने से नहीं छिपारे । ।।3।।
नहीं छोटा बड़ा कोई ऊंच नीच ना जातिवाद विचारो ।
रूप जवानी. मान भयंकर, माया जीवन खानी।
“मगू” सतगुरु के चरणों में, आ बन जा ब्रह्मज्ञानी।
सर्व व्यापी को देख जरा, ये सबको पार उतारे।
नहीं छोटा बड़ा कोई ऊंच नीच ना जातिवाद विचारो।