समधि (37)
ताल्लुका बिजनौर सजा, यूपी के सीने में
भवानीपुर सुखधाम बना, तहसीन नगीने में।
श्री चन्द्रपाल सिंह वहां के वासी, अधिकारी बन आये।
बेटी-बेटे खुब पढा़के, ओहदेदार बनाये ।
पोते-पोती चाँद सितारे, चमके नील गगन में ।
मैम सुनीता गदगद हो रही, देख खुशी आँगन में।
ये देखो तदबीर खुदा की, आसमान हैं नीला।
ऋषिपाल तो एवरेस्ट है, मैं छोटा सा टीला 1l
स्व अशोक ने हमे मिलाया, और बनाया समधि ।
मैं छोटी सी ताल तलैया, शिशुपाल हैं जलधि ।
निरंकार ने कृपा कर दी, सद्गुरु ने आजादी ।
मोहित कर्णिका की, दादा दादी ने करवा दी शादी॥
‘आप सज्जनों ने यहाँ आकर, मेरी तकदीर बना दी।
मैं सबका सम्मान करूँ, ये मुझको राह दिखा दी।