बेसहारा दिल

बेसहारा दिल अब बात तू मेरी सुन
खुद ही तू ,राह अपनी के कांटे चुन।
सुनहरी रूपाली किरनों को थाम ले
नयी सपनों की पोशाकें तू बुन।
रंगों की रंगोली से सजा ऐसे घर
जीवन में ठहर के रह जाए फागुन।
दिल में कहीं बच्चा जिंदा तू रख लें
छींटें उड़ा छपाक से ,आये जो सावन।
संगीत के सुरों संग नाच तू, गा ले तू
सीख जीवन की, तू नयी सी धुन।
सुरिंदर कौर