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29 Jan 2025 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल
नौजवानों को जगाना चाहता हूँ
देश में फिर क्रान्ति लाना चाहता हूँ

नाग भ्रष्टाचार के फन को कुचलकर
राष्ट्र का संकट हटाना चाहता हूँ

प्यार का सागर बहे पूरी धरा पर
मैं उसी में डूब जाना चाहता हूँ

हो सके सब खेत के ढेले बराबर
इस तरह का हल चलाना चाहता हूँ

पक रहे हैं आम तो मिल बाँट खाएं
सिर्फ मै अवधू न खाना चाहता हूँ

अवध किशोर ‘अवधू’
मोबाइल नंबर9918854285
दिनांक28-01-2025

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