हर फूल खुशबुदार नहीं होता./
सम्मानार्थ प्रविष्ठियां आमंत्रित हैं
महत्वपूर्ण यह नहीं कि अक्सर लोगों को कहते सुना है कि रावण वि
भूगोल के हिसाब से दुनिया गोल हो सकती है,
मनवा मन की कब सुने, करता इच्छित काम ।
जाने कहाँ से उड़ती-उड़ती चिड़िया आ बैठी
भले ही थक जाऊ मैं रुकना मेरा काम नहीं
*जलने वाले जल रहे, जल-भुनकर हैं राख (कुंडलिया)*
वाणी और पानी दोनों में ही छवि नजर आती है; पानी स्वच्छ हो तो
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तेरे दिल की आवाज़ को हम धड़कनों में छुपा लेंगे।
मोहब्बत का वो दावा कर रहा होगा
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
बड़ा विश्वास है मुझे स्वयं पर, मैं हारती नहीं हूं..
सीसे में चित्र की जगह चरित्र दिख जाए तो लोग आइना देखना बंद क
जिंदा है हम
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
आधा अधूरा सा,थकान भरा तन,