”पढ़ा लिखा दो मुझको भी पापा ”
पढ़ा लिखा दो मुझको भी पापा
अपना कर्तव्य निभा दो पापा
होगा आपको भी गर्व जब मैं
अपनें साथ आपका नाम बताऊंगी
नाज़ करेगी अम्मा भी जब उनकी
शिक्षित बिटिया कहलाऊंगी।
पढ़ा लिखा दो मुझको भी पापा
अपना कर्तव्य निभा दो पापा
पढ़ लिखकर जब ससुराल को जाऊंगी।
ना सहन करूंगी अत्याचार, सम्मान से रह पाऊंगी।
पढ़ा लिखा दो मुझको भी पापा
अपना कर्तव्य निभा दो पापा
चार दिवारी नहीं, दिलों में रह जाऊंगी
हो जाएगा मेरा भी जीवन सफ़ल
जब किसी की प्रेरणा बन जाऊंगी।
शिव प्रताप लोधी