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27 Jan 2025 · 1 min read

चाहतों को न बढ़ा यूँ,

चाहतों को न बढ़ा यूँ,
सब्र का दामन पकड़।
बेलिबास दुनिया में आये,
बेलिबास हो रुखसती।

क्या तुझे देगा नहीं वो,
जितना होगा लाज़मी।
जो परिंदों को है देता,
आब दाना वक्त पर।

-सतीश सृजन

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