Mahakumbh
तीर्थराज प्रयाग महाकुंभ 2025पर समर्पित गीत
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त्रिवेणी के संगम पर महाकुंभ का मेला
गांव गांव से निकल पड़ा है भक्तों का रेला।।
सदियों से बहती मां गंगा भक्तों का उद्धार करे
दुखियों के मिटते सारे दुख मन से कोई ध्यान धरे
गूंज रही संतों की बाणी नहीं रे कोई झमेला।।
गांव गांव से निकल पड़ा है भक्तों का रेला।।
त्रिवेणी के संगम पर महाकुंभ का मेला।
गांव गांव से निकल पड़ा है भक्तों का रेला।।
सतयुग द्वापर त्रेता में मां ने सबका कल्याण किया
ध्यान किया भागीरथ ने पुरखों का उद्धार किया
जीवन एक साधना सध ले जाना तो है अकेला
गांव गांव से निकल पड़ा है भक्तों का रेला।।
त्रिवेणी के संगम पर महाकुंभ का मेला।
गांव गांव से निकल पड़ा है भक्तों का रेला।
गंगा यमुना सरस्वती की बहती पावन जलधार यहां
लोक लोक से देव सभी लेते पुण्य प्रसाद जहां।
कर दर्शन गंगा मैया का पूजो वहीं शिवाला
गांव गांव से निकल पड़ा है भक्तों का रेला।।
त्रिवेणी के संगम पर महाकुंभ का मेला।
गांव गांव से निकल पड़ा है भक्तों का रेला।।
**© मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर ‘