लूटने न देना लाज देश की
लूटने न देना लाज देश की,
चाहे जीवन खोना पड़ जाये।
भीष्म पितामह सा सर-शस्या पर,
फिर क्यों न सोना पड़ जाये।।
तुम पौरुष के प्रतिमानों
गांधी-नेहरू के शिष्य हो।
मेरे नन्हें वीर सिपाही,
तुम्हीं भारत के भविष्य हो।।
मर्यादा की रक्षा खातिर,
अभिमन्यु होना पड़ जाये।। लूटने न देना…
झुमें मुस्कान हर इक मुखडे़ पर,
खुशियों की फसलें लहराये ।।
आतंक की आग बुझा हाथों से ,
कहीं न बंजर हो पाये।।
दागदार चुनर को क्यों न,
लहू से फिर धोना पड़ जाये।। लूटने न देना…
पीछे हटना न सोच बच्चे हैं,
आगे बढ़ते जाना तुम ।
खंजर की बरसात झेलकर,
माँ की लाज बचाना तुम ।।
उठे आँख न भारत माता पर,
सर बीजों सा बोना पड़ जाये।। लूटने न देना…
छूना भी चाहे जब कोई आँचल,
चाहे दामन को हाथ लगाना।।
गद्दारों की खाल खींचकर,
संस्कृति को चुनर उढ़ाना ।।
बीरता की अथक पुकारों से
‘तमन्ना’ गूँजित हर कोई कोना पड़ जाये।।
लूटने न देना लाज देश की, चाहे जीवन खोना पड़ जाये..