ये बारिश भी...

ये बारिश भी…
जब होती है
अपने पूरे यौवन पर
अपनी तूफानी रफ़्तार से
मुझे यहाँ वहाॅं बहा देती है
मै ज़ार- ज़ार रोता हूँ
निरंतर गिरती बूंदों के साथ
पर बादलों की गड़गड़ाहट,
बिजली की कड़कडाहट में,
कोई भी मेरा
चीत्कार नहीं सुन पाता
तुम भी नहीं….!!!!
हिमांशु Kulshrestha