मेरा नजरिया
जिंदगी जीने का
मेरा नजरिया अलग है
मंजिलों की नहीं
मुझे रास्तों की तलब है
नाज़ुक पगडंडी हो
या लहराती काली सड़क
सफर के साथी बस यही
साथ चलते अनवरत
आरजू नही पहुॅचने की
चलते जाना ही सबब है
मंजिलों की नहीं
मुझे रास्तों की तलब है
चित्रा बिष्ट