Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Jan 2025 · 1 min read

मेरा नजरिया

जिंदगी जीने का
मेरा नजरिया अलग है
मंजिलों की नहीं
मुझे रास्तों की तलब है

नाज़ुक पगडंडी हो
या लहराती काली सड़क
सफर के साथी बस यही
साथ चलते अनवरत

आरजू नही पहुॅचने की
चलते जाना ही सबब है
मंजिलों की नहीं
मुझे रास्तों की तलब है

चित्रा बिष्ट

Loading...