खुद क्यों रोते हैं वो मुझको रुलाने वाले
एक ऐसी रचना जो इस प्रकार है
कोई भी व्यक्ति जिस भाषा,समुदाय और लोगो के बीच रहता है उसका उ
तूने मुझे भुला तो कबका दिया था, तूने बताया तब जब कोई और मिला
जुड़ी हुई छतों का जमाना था,
घर पर ध्यान कैसे शुरू करें। ~ रविकेश झा
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
तबाही की दहलीज पर खड़े हैं, मत पूछो ये मंजर क्या है।
जीने का एक अच्छा सा जज़्बा मिला मुझे
मौसम का कुदरत से नाता हैं।
मोहब्बत की राहों मे चलना सिखाये कोई।
मन हरण घनाक्षरी पानी बचाओ
बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -194 के श्रेष्ठ दोहे (बिषय-चीपा)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*मन के भीतर बसा हुआ प्रभु, बाहर क्या ढुॅंढ़वाओगे (भजन/ हिंदी
रंग लहू का सिर्फ़ लाल होता है - ये सिर्फ किस्से हैं