“बेहतर”

“बेहतर”
बेहतर तो वही
चार दिन की जिन्दगी में
हजारों बरस जिए,
सदियों पे अधिकार न था
जीना चाहिए जैसा
हम तो वैसा ही जिए।
“बेहतर”
बेहतर तो वही
चार दिन की जिन्दगी में
हजारों बरस जिए,
सदियों पे अधिकार न था
जीना चाहिए जैसा
हम तो वैसा ही जिए।