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24 Jan 2025 · 1 min read

" अब "

” अब ”

खत्म हो रही है नादानियाँ मेरी
अब मैं समझदार बन रहा हूँ,
कुछ न मिलने पर रोता था कभी
अब सब खोकर भी हँस रहा हूँ।

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