Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2025 · 1 min read

मेरे अंतस में ….

मेरे अंतस में ….

कौन
मेरी हथेली की लकीरों में
आसमान लिख गया
स्मृति मेघ की बूंदों से
मन विहग के संचित
सारे अरमान लिख गया
मैं देखती रही
अपलक
क्षितिज को चूमते
जलधि को
जिसकी वीचियों पर
चुपके से
कोई
मेरे मन की
हीर लिख गया
मैं
समझ न सकी
कब
कोई मेरे अंतस में
मेरी ज़िंदगी की
तक़दीर लिख गया

सुशील सरना

28 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

To my old self,
To my old self,
पूर्वार्थ
बड़े भाग मानुष तन पावा
बड़े भाग मानुष तन पावा
आकांक्षा राय
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
वीरान जाने
वीरान जाने
Kunal Kanth
डॉक्टर
डॉक्टर
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
"क्रूरतम अपराध"
Dr. Kishan tandon kranti
साथ तेरा चाहता हूं ।
साथ तेरा चाहता हूं ।
Kumar Kalhans
गंधारी
गंधारी
Shashi Mahajan
प्रकृति के चंचल नयन
प्रकृति के चंचल नयन
मनोज कर्ण
प्रेम
प्रेम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अचानक
अचानक
Nitin Kulkarni
*दिल चाहता है*
*दिल चाहता है*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
उस्ताद नहीं होता
उस्ताद नहीं होता
Dr fauzia Naseem shad
हरे खेत खलिहान जहां पर, अब दिखते हैं बंजर,
हरे खेत खलिहान जहां पर, अब दिखते हैं बंजर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सबक
सबक
अरशद रसूल बदायूंनी
सत्य की खोज...
सत्य की खोज...
सुशील सिहाग "रानू"
बाग़ तू भी लगा तितलियाँ आएगी ...
बाग़ तू भी लगा तितलियाँ आएगी ...
sushil yadav
4990.*पूर्णिका*
4990.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रुपया दिया जायेगा,उसे खरीद लिया जायेगा
रुपया दिया जायेगा,उसे खरीद लिया जायेगा
Keshav kishor Kumar
🌺🌺इन फाँसलों को अन्जाम दो🌺🌺
🌺🌺इन फाँसलों को अन्जाम दो🌺🌺
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हिन्दी भाषा
हिन्दी भाषा
राधेश्याम "रागी"
रंग ही रंगमंच के किरदार होते हैं।
रंग ही रंगमंच के किरदार होते हैं।
Neeraj Kumar Agarwal
*नारी है अर्धांगिनी, नारी मातृ-स्वरूप (कुंडलिया)*
*नारी है अर्धांगिनी, नारी मातृ-स्वरूप (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शब्द✍️ नहीं हैं अनकहे😷
शब्द✍️ नहीं हैं अनकहे😷
डॉ० रोहित कौशिक
#व्यंग्य-
#व्यंग्य-
*प्रणय प्रभात*
सत्य सनातन का महापर्व : महाकुंभ
सत्य सनातन का महापर्व : महाकुंभ
रुपेश कुमार
"तू जो होती"
Ajit Kumar "Karn"
- निश्चय करना निश्चित है -
- निश्चय करना निश्चित है -
bharat gehlot
...........
...........
शेखर सिंह
मां की दुआओं का असर
मां की दुआओं का असर
डॉ. एकान्त नेगी
Loading...