हर जीवन का आधार है सुख

है सुकून कहाँ इस जीवन में हर तरफ यहाँ परेशानियाँ हैं।
सब ढूंढ रहे हैं खुशियों को पर मिलती यहाँ दुश्वारियां हैं।।
जो हमको समझना नहीं चाहते उन्हें समझाना क्या ज़रूरी है।
खारा तो मीठा हो सकता पर कड़वे की सिर्फ कहानियाँ हैं।।
जब जेब सभी की खाली है और मुख में सभी के गाली है।
हैं फिराक में कोई तो काम मिले पर पेट सभी के खाली हैं।।
सब देख रहे हैं ख्वाब बड़े पर सच को समझना बाकी है।
लोगों की फिकर कोई कैसे करे जब खुद का जीना बाकी है।।
संघर्ष करो तुमको अपनी काबिलियत को समझना बाकी है।
जो खुद पे भरोसा करते हैं उनमें ख़ुशियों का भरना बाकी है।।
बिजनौरी कहे जीवन में जिसके सुख की कामना बाकी है।
हर जीवन का आधार है सुख तो दुःख का जाना तो बाकी है।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।