चिंतन

चिंतन
जब ‘शंका’ रूपी सती ‘समर्पण’ रूपी अग्नि का वरण करती है, तब ‘श्रद्धा’ रूपी गौरा का जन्म होता है, फिर ‘विश्वास’ रूपी शिव को प्राप्त करती है। (प्रेरणा ग्रंथ-रामचरित मानस)
©दुष्यन्त ‘बाबा’
चिंतन
जब ‘शंका’ रूपी सती ‘समर्पण’ रूपी अग्नि का वरण करती है, तब ‘श्रद्धा’ रूपी गौरा का जन्म होता है, फिर ‘विश्वास’ रूपी शिव को प्राप्त करती है। (प्रेरणा ग्रंथ-रामचरित मानस)
©दुष्यन्त ‘बाबा’