*ख़ुद पर यक़ीन*
सितम इतने भी न किया करो
दूसरों की आंखों में आंसू न दिया करो
आए जब भी कोई बुरा ख़्याल दिल में
तुम फिर प्रभु का नाम लिया करो।
इंसानियत की राह पर, कभी तो चल लिया करो,
छोटी सी खुशी के लिए खुद को ज़ाया न किया करो।
कुछ ऐसा करो जिससे रिश्तों में घुटन न रहे,
दूसरों के दर्द पर भी कभी मरहम लगाया करो।
ज़िंदगी की राह में आती है मुश्किलें कई
मगर तुम उनसे न कभी भागा करो।
छोटे-छोटे लम्हों को जी कर अपना बनाओ,
जिससे मिले दिल को राहत, वो काम किया करो।
छुपाकर आंसू, मुस्कान के साथ चलो,
कमजोरियों को अपनी ताकत बनाया करो।
जब ज़रा सा भी बुरा ख़्याल आए दिल में,
करके दरकिनार उसे, कुछ अच्छा सोच लिया करो।
आए राह में जो भी बाधाएं तेरे ,
उनसे तुम डटकर लड़ा करो।
ख़ुद पर यक़ीन रखना ही लाज़मी है ,
दूसरों से ज़्यादा उम्मीदें न रखा करो।
जीवन में मिलते हैं जो ख़ुशियों के पल
उन खुशियों को महसूस कर लिया करो।
हर दिन को एक नई शुरुआत समझो,
आंसुओं को छोड़ दिल से जी लिया करो।
सितम इतने भी न करो कि आंखों में आंसू आ जाए
ग़म के दो घूंट कभी तुम भी पी लिया करो,
कभी मुश्किलें आएं तो घबराना नहीं,
फिर भी हमेशा सच्चाई की राह पर चला करो।