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22 Jan 2025 · 1 min read

“तोड़ो अपनी मौनता “

डॉ लक्ष्मण झा परिमल
================

भले सब मौन बैठे हों ,
नहीं मैं मौन रह सकता !
कोई भी दर्द से तड़पे ,
उसे मैं सह नहीं सकता !!

व्यथा की वेदना को मैं ,
सदा ही बाँट लेता हूँ !
कोई उलझन में हो साथी ,
उसी का साथ देता हूँ !!

अभी भी हैं कई बातें ,
जो सुनकर ठेस लगती है !
सभी लड़ते हैं आपस में ,
नहीं कोई बात होती है !!

लड़ाते हैं हमें सब दिन,
बनाते काम अपने हैं !
नहीं परवाह है उनको ,
बिखरते सारे सपने हैं !!

कोई तो वर्ग है दूषित ,
जहर के बीज बोता है !
हमें अपनों से लड़ने का ,
सदा कोई जाल बुनता है !!

नहीं अब मौन रहना है ,
सभी को खुलके कहना है !
समझ में बात अब आयी ,
इसे सब को बताना है !!

भले सब मौन बैठे हों ,
नहीं मैं मौन रह सकता !
कोई भी दर्द से तड़पे ,
उसे मैं सह नहीं सकता !!
==================
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
22.01.2024

Language: Hindi
56 Views
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