“तोड़ो अपनी मौनता “

डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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भले सब मौन बैठे हों ,
नहीं मैं मौन रह सकता !
कोई भी दर्द से तड़पे ,
उसे मैं सह नहीं सकता !!
व्यथा की वेदना को मैं ,
सदा ही बाँट लेता हूँ !
कोई उलझन में हो साथी ,
उसी का साथ देता हूँ !!
अभी भी हैं कई बातें ,
जो सुनकर ठेस लगती है !
सभी लड़ते हैं आपस में ,
नहीं कोई बात होती है !!
लड़ाते हैं हमें सब दिन,
बनाते काम अपने हैं !
नहीं परवाह है उनको ,
बिखरते सारे सपने हैं !!
कोई तो वर्ग है दूषित ,
जहर के बीज बोता है !
हमें अपनों से लड़ने का ,
सदा कोई जाल बुनता है !!
नहीं अब मौन रहना है ,
सभी को खुलके कहना है !
समझ में बात अब आयी ,
इसे सब को बताना है !!
भले सब मौन बैठे हों ,
नहीं मैं मौन रह सकता !
कोई भी दर्द से तड़पे ,
उसे मैं सह नहीं सकता !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
22.01.2024