अदा या अदब

अदा जो मिल रही हर व्यक्तित्व में,अदब कहीं कहीं मिलती है।
अदा के पीछे भागे है दुनिया अदब से दुनिया चलती है।।
अदब जहाँ करता है प्रभावित अदा सबको आकर्षित करती है।
अदब की उम्र असीमित है तो अदा तो कुछ दिन तक चलती है।।
अदब सफलता की है कुंजी और अदा द्वेष फैलाती है।
अदब अटल रहता जीवन में जबकि अदा तो आती जाती है।।
अदा से मिलने वाली खुशी भी तो कुछ क्षण ही मनाई जाती है।
अदब सफलता की है गारंटी अदब में अदा भी पाई जाती है।।
कहे विजय बिजनौरी अदब से अदा सम्मोहित करने वाली है।
जो मोहित हुआ अदा पर उसकी दुनिया भी लगे जैसे खाली है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।