चाहा था तुमको भूलना

चाहा था तुमको भूलना, लेकिन तुम्हें मैं भूला नहीं सका।
सोचा था तुमसे नफरत करूँ, मगर तुमसे नफरत कर नहीं सका।।
चाहा था तुमको भूलना————————–।।
क्यों तुम अच्छी लगती हो, क्यों चाहता है दिल तुमको।
क्यों तुमसे इतना प्यार है, क्यों लिखता हूँ खत तुमको।।
चाहा था कर दूँ खत्म यह कहानी, मगर अन्त इसका कर नहीं सका।
चाहा था तुमको भूलना————————-।।
आँखों में तस्वीर गुजरे दिनों की, आती है याद बार-बार।
आती है याद मोहब्बत कल की, दोनों की हंसी वह तकरार।।
सोचा था कर दूँ बदनाम तुमको, कदर तेरी कम मैं कर नहीं सका।
चाहा था तुमको भूलना————————–।।
क्यों खुशी मिलती है तुमसे ही, क्यों तुम बसी हो ख्वाबों में इतनी।
क्यों तुम बनी हो मंजिल मेरी, क्यों तुम पसंद हो मुझको इतनी।।
सोचा था तेरा शहर छोड़ दूँ , मगर दूर तुमसे जा नहीं सका।
चाहा था तुमको भूलना————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)