कुछ ख़्वाब टूटकर भी मरते नहीं हैं.

कुछ ख़्वाब टूटकर भी मरते नहीं हैं.
कुछ जख्म मरहम से भरते नहीं हैं.
दर्द अपने दिल मे छुपाये कब से,
अश्क हैं जो आँखो में ठहरते नही है.
ख्यालों में उनके हम पागल हुए हैं,
वो कहते है याद हमे करते नही हैं.
हम कितना भी मेहनत कर ले मगर,
मुफ़लिसों के मुक़द्दर संवरते नहीं हैं.
नूरैन राहों में हमने बिछाये हैं दिल को
अफ़सोस वो इधर से गुजरते नहीं हैं