ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जीवन जीना अभी तो बाक़ी है
बसंत
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
നിലാവിന്റെ നീല വെളിച്ചത്തിൽ നിനെയും ചേർത്ത് പിടിച്ചൊരു യാത്ര
*जग से चले गए जो जाने, लोग कहॉं रहते हैं (गीत)*
23 Be Blissful
Santosh Khanna (world record holder)
हम भी देखेंगे ज़माने में सितम कितना है ।
उफ़ ये लम्हा चाय का ख्यालों में तुम हो सामने
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
"सहर होने को" कई और "पहर" बाक़ी हैं ....
इंसान स्वयं के ही मायाजालों में फंसकर भटक रहा है।
यूं कठिन राह कोई ना चुनता मगर– राम गीत।
अंबा नाम उचार , भजूं नित भवतारीणी।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
जातिवाद को मनमें रखकर, लोग करे व्यवहार।
नहीं, अब नहीं,-----------मैं