अक्सर हम एकतरफ़ा मनगढन न जाने क्या कुछ सोच लेते हैं. मगर स्थ

अक्सर हम एकतरफ़ा मनगढन न जाने क्या कुछ सोच लेते हैं. मगर स्थिति उसके उलट ही होती है. जो उस परिस्थिति विशेष में न दिखाई- सुनाई देती है, न देखने-सुनने देती. खैर इसके उलट भी कुछ हो सकता है जिसकी सम्भावनाएं बहुत अधिक नहीं तो बहुत कम भी नहीं हैं.
खैर मैंने जाना रिश्तों के लिए उष्मा ठंडक से भी मिल सकती है. बशर्ते ठंडक एक उजली बर्फ के माफ़िक हो. जो एकदम शांति की दूत हो. जिसे चहूं ओर अमन चाहिए हो.
मैं नहीं जानता ये ठंडक उष्मा दे रही थी या नहीं मगर अभी तक तो मैं ये ही मानकर चल रहा हूं कि ये वाकई ऐसी ही थी.