शेर
हिन्दू ही रहें, चाहे मुसलमान बनें हम
पहले ये जरूरी है कि इंसान बने हम
उसे शान अपनी बढ़ाने का मन है
अमीरों से रिश्ता बनाने का मन है
नई राहों में खामोशी को ‘अरशद’ चुन लिया मैंने
ज़ुबां खोली नहीं थी और क्या-क्या सुन लिया मैंने
हिन्दू ही रहें, चाहे मुसलमान बनें हम
पहले ये जरूरी है कि इंसान बने हम
उसे शान अपनी बढ़ाने का मन है
अमीरों से रिश्ता बनाने का मन है
नई राहों में खामोशी को ‘अरशद’ चुन लिया मैंने
ज़ुबां खोली नहीं थी और क्या-क्या सुन लिया मैंने