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21 Jan 2025 · 1 min read

लगे हैं दूर रह कर घर चलाने में

ये मेहनतकश लगे हैं घर चलाने में
जवानी सब गंवा दी कारखाने में

हमेशा ही वो कीचड़ फेंक जाते हैं
लगे हैं हम कँवल उस पर खिलाने में

उजाले यूं मुझे अच्छे नहीं लगते
दियों की साजिशें थीं घर जलाने में

बस इक तकरीर ने बस्ती जलाई थी
लगे हैं हम वही शोले बुझाने में

कचहरी में यही एहसास होता है
बहुत सस्ते निपट जाते हैं थाने में

मुनाफ़ा ख़ोर हावी हो गए कितना
मिलाकर जहर बेचा है किराने में

हमारे गम बहुत बौने दिखे ‘अरशद’
मिले जब ग़मज़दा ढेरों ज़माने में

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