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22 Jan 2025 · 1 min read

नववर्ष और बसंत

प्रीत पुष्प ये दुनिया रंगीन है रहती बहार
लगता ऊपर वाला भी है कोई कलाकार।
मौसम हरित हरियाली खेती में लहराईं
नीले,लाल,पीले पुष्पों की बहार छाई।
उन पर रंग-बिरंगी तितलियां है मंडराई
बोसा लेकर फूलों का वो मुस्कराईं।
सर्द हवाओं का मौसम हरिताभ आया प्यारा
विटप फल पुष्प पल्लवित है बागों का क्यारा।
मैं हूं कलाकार क्यों न कुछ फूलों में रंग भरूं
करके ऐसे अपने मन की भी सपने साकार करूं।
सुंदर सुगंधित महक जाएगा मन का कोना
और भी खूबसूरत लगेगा ये पुष्प सलोना।
मन चाहता है निज जीवन को रंगों से भर लूं
कभी मन चाहता है तितली की भांति उड़ लूं,
पर मन को वश में करके एक प्रण में पक्का कर लूं
नववर्ष की धरातल पर संकल्प का दृढ़ निश्चय कर लूं।
उड़ना नहीं बेमतलब में यूं ही दूर गगन तक
रह कर अपने ही दायरे में सपने साकार कर लूं,
जीवन की कैनवास पर चित्रित रिश्तों में इस वर्ष
खुशियों की कूंची से मै रंग भर लूं जी सहर्ष,
प्यार ,विश्वास ,नेह ,अनुराग ,सदव्यवहार करूं
खाली हाथ लौटूं नहीं जग से ये सब अच्छाई भरूं ,
नेकी कर, दया दिखलाऊं गीत गुनगुनाती हरषाऊं
रंग सब अच्छे कर्म का अपने दामन में भर लाऊं।
-सीमा गुप्ता

Language: Hindi
41 Views
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