जिन्दा होने का सबूत दो

(शेर)- अपनी खुशी और सुख के लिए तो, हर इंसान यहाँ पर जी रहा है।
लेकिन अन्याय के खिलाफ जिन्दा होने का, सबूत कौन दे रहा है।।
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अन्याय से जो लड़ता है, वो ही जिन्दा होता है।
जो जुल्मियों से डरता है, वह तो मुर्दा होता है।।
जिन्दा होने का सबूत दो, जिन्दा हो अगर तुम।
मुर्दों की तरहां जुल्म पे, नहीं रहो खामोश तुम।।
अन्याय से जो लड़ता है—————————।।
खाना- पीना- सोना, ऐसा तो सभी करते हैं।
सभी तो जीव जंतु , यहाँ पेट अपना भरते हैं।।
निडर- बाहुबली का ही, जमीं पे राज होता है।
बुझदिल- डरपोक तो, सबका गुलाम होता है।।
जिन्दा होने का सबूत दो———————-।।
अन्याय से जो लड़ता है——————-।।
जो फायदा उठाता है, गरीब और बीमार का।
जो लूटता है जीवन, अनाथ और लाचार का।।
बेशर्म- धूर्त- लुटेरों का, अंत बहुत बुरा होता है।
दौलत- महलों वाला, नहीं जिन्दाबाद होता है।।
जिन्दा होने का सबूत दो——————-।।
अन्याय से जो लड़ता है——————-।।
देश की आजादी के लिए, अपनी जान दी जिन्होंने।
अपने परिवार और सुखों की, कुर्बानी दी जिन्होंने।।
अमर इस जमीं पर, वो ही इंसान होता है।
इंसानियत-वतन के लिए, जो शहीद होता है।।
जिन्दा होने का सबूत दो——————।।
अन्याय से जो लड़ता है——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)