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20 Jan 2025 · 1 min read

शीर्षक – सोच….

सोच हमारी अपनी होती हैं।
बीते पलों को वो कहती हैं।

हम तुम संग साथ रहते हैं।
हमारी सोच अपनी होती हैं।

सच और झूठ फरेब रहते हैं।
सोच समझ मन भाव रखते हैं।

जन्म मरण की सोच होती हैं।
बीते लम्हों का एहसास रहता हैं।

सोच ही हमारे जीवन बनातीं हैं।
आओ मिलकर सोच बनाते हैं।
*****************
नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
36 Views
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