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20 Jan 2025 · 1 min read

*चाह यही है तुमसे प्रभु जी, केवल तुमको चाहूॅं (भक्ति गीत)*

चाह यही है तुमसे प्रभु जी, केवल तुमको चाहूॅं (भक्ति गीत)
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चाह यही है तुमसे प्रभु जी, केवल तुमको चाहूॅं
1)
चाह नहीं हो धन दौलत की, ऊॅंचे पद पाने की
चाह नहीं हो बड़ी गाड़ियॉं, कोठी में आने की
तुम बैठो मेरे मन में प्रभु, तुमको निशि-दिन गाऊॅं
2)
रहो ध्यान में सदा विराजे, आनंदित नित करना
अंतर्मन में सदा उपस्थित, रहकर सुख से भरना
चाह नहीं हो कभी जगत के, सुख-भोगों को पाऊॅं
3)
तुमसे कुछ पाने की इच्छा, प्रभु जी कभी न लाना
जग की माया में हे प्रभु जी, मुझे नहीं भटकाना
तुमको पाकर इस जग की सब, माया को बिसराऊॅं
चाह यही है तुमसे प्रभु जी, केवल तुमको चाहूॅं

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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