अक्सर

अक्सर
हम जैसा चाहते है
वैसा होता नही है
आँखों के आगे
बिखरती हुई उम्मीदें
टूटते हुए ख्वाब
अक्सर तन्हाइयों में
आँखों ओर सीने में
बेपनाह चुभते है,
कैसे कह पायेंगे,
उसे…
महसूस करने के लिए
क्योंकि चुभन तो
महसूस मैंने की
ख्वाब मेरे टूटे, दर्द मुझे हुआ
साँसे मेरी बोझिल हुई
हिमांशु Kulshrestha