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20 Jan 2025 · 1 min read

ख़ुदगर्ज हो, मक्कार हो ये जानता है दिल।

ख़ुदगर्ज हो, मक्कार हो ये जानता है दिल।
न जाने किस लिए फिर भी खुदा-सा मानता है दिल।।
-लक्ष्मी सिंह

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