#मुख़्तसर_नज़्म-

#मुख़्तसर_नज़्म-
■ चल ख़्वाब देखते हैं।।
[प्रणय प्रभात]
चल ख़्वाब देखते हैं।
वो ख़्वाब जो कि टूटें,
वो ख़्वाब जो कि तोड़ें।
वो ख़्वाब सब करें पर,
हम देखना न छोड़ें।।
ये ख़्वाब भी तो जानें,
ये ख़्वाब भी तो मानें।
कुछ लोग आज भी हैं,
जो रार उस से ठानें।।
जीवन के दश्त में भी,
जो आब देखते हैं।
फिर ख़्वाब देखते हैं,
कुछ ख़्वाब देखते हैं।।
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संपादक
न्यूज़&व्यूज़
श्योपुर (मप्र)