Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2025 · 1 min read

Sometimes you have to accept the truth and stop wasting time

Sometimes you have to accept the truth and stop wasting time on the wrong people. Some people don’t realize how hard you’re riding for them, until you park🧸

29 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*सात्विक चेतना की धनी श्रीमती पुष्पलता कपूर : शत-शत नमन*
*सात्विक चेतना की धनी श्रीमती पुष्पलता कपूर : शत-शत नमन*
Ravi Prakash
महाकुंभ
महाकुंभ
Dr Archana Gupta
तितलियों जैसे पल।
तितलियों जैसे पल।
Kumar Kalhans
*Rising Waves*
*Rising Waves*
Veneeta Narula
हिम्मत मत हारो, नए सिरे से फिर यात्रा शुरू करो, कामयाबी ज़रूर
हिम्मत मत हारो, नए सिरे से फिर यात्रा शुरू करो, कामयाबी ज़रूर
Nitesh Shah
संविधान दिवस
संविधान दिवस
उषा श्रीवास वत्स
जिंदगी को खुद से जियों,
जिंदगी को खुद से जियों,
जय लगन कुमार हैप्पी
आकांक्षा : उड़ान आसमान की....!
आकांक्षा : उड़ान आसमान की....!
VEDANTA PATEL
🙅मुझे लगता है🙅
🙅मुझे लगता है🙅
*प्रणय प्रभात*
उत्पादन धर्म का
उत्पादन धर्म का
Arun Prasad
यमलोक को मोदी उपहार
यमलोक को मोदी उपहार
Sudhir srivastava
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
Keshav kishor Kumar
!! जानें कितने !!
!! जानें कितने !!
Chunnu Lal Gupta
5. *संवेदनाएं*
5. *संवेदनाएं*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
भारत कभी रहा होगा कृषि प्रधान देश
भारत कभी रहा होगा कृषि प्रधान देश
शेखर सिंह
एक क़ता ,,,,
एक क़ता ,,,,
Neelofar Khan
यै चांद जरा रुक,
यै चांद जरा रुक,
Brandavan Bairagi
टन टन
टन टन
SHAMA PARVEEN
जुदाई के रात
जुदाई के रात
Shekhar Chandra Mitra
मेरे महबूब ने मुझको साहिल अपना बनाया है।
मेरे महबूब ने मुझको साहिल अपना बनाया है।
Madhu Gupta "अपराजिता"
गौरैया दिवस पर
गौरैया दिवस पर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
संसार का स्वरूप(3)
संसार का स्वरूप(3)
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
3389⚘ *पूर्णिका* ⚘
3389⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
बदबू से रोवेला गेंदा-गुलाब
बदबू से रोवेला गेंदा-गुलाब
आकाश महेशपुरी
" राज "
Dr. Kishan tandon kranti
क्या आसमां और क्या जमीं है,
क्या आसमां और क्या जमीं है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हम ज़ात पात के नाम पर खुद को टुकड़ों में बाँट रहे ,
हम ज़ात पात के नाम पर खुद को टुकड़ों में बाँट रहे ,
raijyoti47.
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जल की कीमत
जल की कीमत
D.N. Jha
एक लघुकथा
एक लघुकथा
Mahender Singh
Loading...