बढ़ती गयी दूरियां

बढ़ती गयी है दूरियां, बढ़ते गये फासले
एहसासों के तो यहां ,होते रहे तबादले।
एहसास_ए_कमतरी ऐसे हावी होता गया
खुद का खुद से ही करते रहे मुकाबले ।
इज्तिराब एशौक किस किस को बताए
मिलने को तुझे ,हम कितने थे उतावले।
आज तन्हा हूं तो, ग़म नही कोई मुझे
यकीनन कल मेरे साथ होंगे कई काफिले
बेसाख्ता यादें पुरानी याद आ ही जाए
हैरां हैं सोच कर ,कैसे कैसे देखें है मरहले
सुरिंदर कौर