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18 Jan 2025 · 1 min read

कोहरा

सर्द ठिठुरती रातों में
काँपते सिहरते बदन

ओढे कोहरे की चादर
सिकुङते, सिमटते बदन

रात की बेरुखी से जूझते
टूटते, मिटते बदन

बेपरवाही के मारे
मौत की ओर बढ़ते बदन

चित्रा बिष्ट

Language: Hindi
1 Like · 39 Views
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