कर्म
नित्य मेहनत कर, कर्मों का होगा विकास,
वो राही सब देखेंगे, जिन्हें ना थी थोड़ी-सी भी आस।
व्याकुल मन अतृप्त रहते, चारों तरफ थी अशान्ति,
कर्मचक्र चला ऐसे, दिखाई उसने जीवन में क्रांन्ति।।
हुंकार भरी अब जीवन में, उठा लिया कर्म हथियार,
अब बारी कर्मों की, कर्म है सर्व प्रधान।
ना झूठ के जंजाल में फंसे, ना लोभ में गिरे,
बस आत्मा तो निश्चल कर्म की सेवा में तत्पर रहे।।
देर भली हुई फल प्राप्ति में, ना हारा कभी कर्म,
उम्मीदो के दामन में, ना कोई था धर्म।
आंधियों से लड़के, मजबूत इरादे बना लिये,
ताकत देखो कर्म की, फौलाद हमें बना दिया।।
यौवन भी हमने लुटा दिया, समय भी हमने गवा दिया,
तिनका-तिनका जोड़कर, सुन्दर-सा संसार बना लिया।
कर्मों ने मजबूत बनाया और बुढ़ापे को सावरा,
आज गर्व से हम कहते हैं, कर्म है सर्वोपरि हमारा।।