Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jan 2025 · 1 min read

प्रेम संदेश

///प्रेम संदेश///

आज उड़ते विहंग को भी,
रोक लूंगी मैं यहां।
चिर प्रेम का संदेश दे दूं,
दूत भेजूं उसे जहां।।

प्रिय प्राणों के प्राण मेरे,
पलक क्षण को गए थे।
पर न जाने आज तक,
न लौटे रुक गए कहां।।

असीम का आनंद देकर,
चिर विरह को दी प्रेरणा।
देकर सदा की प्राण संसा,
मुझमें छिपा दी वेदना।।

सत्य की संवेदना लेकर,
मिले थे प्राण विभु के।
जाने कहां खो गए वह,
सत्यमूल प्राण प्रभु के।।

आज अंबर को सुना दूं,
हृदय-घन संदेश सपना।।
चिर प्रेम के प्रेमी कहां तुम,
जहां साकार स्वप्न अपना।।

स्वरचित मौलिक रचना
प्रो. रवींद्र सोनवाने ‘रजकण’
बालाघाट (मध्य प्रदेश)

Language: Hindi
39 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
View all

You may also like these posts

"खामोशी"
Dr. Kishan tandon kranti
विवश लड़की
विवश लड़की
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
रूप मनोहर श्री राम का
रूप मनोहर श्री राम का
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
विषय-मेरा गाँव।
विषय-मेरा गाँव।
Priya princess panwar
HELLO88 – Nhà cái cá cược trực tuyến với đa dạng trò chơi từ
HELLO88 – Nhà cái cá cược trực tuyến với đa dạng trò chơi từ
HELLO88
वो मानसिक रोगी होता है जो सामान्य रूप से किसी की खुशी में खु
वो मानसिक रोगी होता है जो सामान्य रूप से किसी की खुशी में खु
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
मोबाइल का यूज कम करो
मोबाइल का यूज कम करो
Dhirendra Singh
मतलब नहीं माँ बाप से अब, बीबी का गुलाम है
मतलब नहीं माँ बाप से अब, बीबी का गुलाम है
gurudeenverma198
दिल धड़कता है मेरा,
दिल धड़कता है मेरा,
लक्ष्मी सिंह
- शेखर सिंह
- शेखर सिंह
शेखर सिंह
भटक ना जाना मेरे दोस्त
भटक ना जाना मेरे दोस्त
Mangilal 713
"ज़हन के पास हो कर भी जो दिल से दूर होते हैं।
*प्रणय प्रभात*
Aura of Virtues
Aura of Virtues
Shyam Sundar Subramanian
मासूम बच्चे बड़े हो जाते हैं...
मासूम बच्चे बड़े हो जाते हैं...
Ajit Kumar "Karn"
जुगनू का व्यापार।
जुगनू का व्यापार।
Suraj Mehra
पत्रकारिता सामाजिक दर्पण
पत्रकारिता सामाजिक दर्पण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
कौन कहता है ये ज़िंदगी बस चार दिनों की मेहमान है,
कौन कहता है ये ज़िंदगी बस चार दिनों की मेहमान है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shally Vij
शब्द पिरामिड
शब्द पिरामिड
Rambali Mishra
महिमां मरूधर री
महिमां मरूधर री
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
खुली आबादी से कोई अपना लेना चाहती हूं मुझ में भी दर्द है उसक
खुली आबादी से कोई अपना लेना चाहती हूं मुझ में भी दर्द है उसक
Aisha mohan
बस्ते  का बोझ
बस्ते का बोझ
Rajesh Kumar Kaurav
ख्वाहिशों के बैंलेस को
ख्वाहिशों के बैंलेस को
Sunil Maheshwari
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
Rituraj shivem verma
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
17. I am never alone
17. I am never alone
Santosh Khanna (world record holder)
सम्मान शराफत से मिल जाए वही सम्मान।
सम्मान शराफत से मिल जाए वही सम्मान।
पूर्वार्थ
वोट कर!
वोट कर!
Neelam Sharma
*कलिमल समन दमन मन राम सुजस सुखमूल।*
*कलिमल समन दमन मन राम सुजस सुखमूल।*
Shashi kala vyas
मन
मन
Shweta Soni
Loading...