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14 Jan 2025 · 1 min read

भटकते फिर रहे थे हम खुशी अब हाथ आई है

भटकते फिर रहे थे हम खुशी अब हाथ आई है
नही ये एक दिन की है ये बरसों की कमाई है
निराशा में न आशा को कभी भी छोड़ देना तुम
हमारी ज़िंदगी ने बात ये हमको सिखाई है

डॉ अर्चना गुप्ता
14.01.2025

Language: Hindi
54 Views
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