हसीन ए गजल

तुम कहो तो कह दूं हसीन ए गजल,
सादगी पर तुम्हारी बेहतरीन ए गजल।
सुर्ख लबों पे बेतहाशा रंगीन ए गजल,
फरमा रहा हूं शौक से शौकीन ए गजल।
पूनम के चांद जैसे हसी चेहरे पे तुम्हारे,
नाजुक तेरे बदन की नाजनीन ए गजल।
पत्थरों पर तराशी किसी मूर्ती की सूरत,
हो कारीगर के हुनर सी महीन ए गजल।
गुलदाऊदी के हसी बागों से गुजरी,
है गुलाबों की खुश्बू ज़रीन ए गजल।
हवाओं में बिखरी जो इत्र सी महके,
बारिश की बूंदें तर जमीन ए गजल।
आहिस्ता-आहिस्ता तुम्हे महसूस होगी,
कर मेरी मोहब्बत का यकीन ए गजल।
न अल्फाजों को मेरे एहसासों को देखों,
ओ आफताब ए महबूब आफरीन ए गजल।