शून्य है यदि पुरूषार्थ का फल।

शून्य है यदि पुरूषार्थ का फल।
नहीं होता किसी समस्या का हल।।
अयोग्य, भ्रष्ट की होती है जय।
पुरूषार्थी फिर कैसे हो निर्भय।।
आचार्य शीलक राम
शून्य है यदि पुरूषार्थ का फल।
नहीं होता किसी समस्या का हल।।
अयोग्य, भ्रष्ट की होती है जय।
पुरूषार्थी फिर कैसे हो निर्भय।।
आचार्य शीलक राम