संत बनाम कालनेमि

संत बनाम कालनेमि
सुलभ सत्संग सुखद फलदाई
कलियुग कल्प सत्यपि दुखदाई..
भेद परख नहिं ज्य़ौं संत कालनेमि
पहचान करत है अति कठिनाई..
राम-रहीम अविमुक्त कभी ईश्वर न पाई
ज्ञान-वैराग्य किछु ना झलक दिखलाई..
अहं जड़ित आचार्य पीठाधीश कहावत
राजनीति संग मिल सुख ठाठ बँटाई..
संत समाज अब सजग रहे भाई
दुष्ट कालनेमि जबहिं स्वांग रचाई..
सनातन प्रहरी करे चरित्र उजागर
संत वही जाके हृदय बसत रघुराई..
मौलिक और स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १३/०१/२०२५
पौष, शुक्ल पक्ष,पूर्णिमा ,सोमवार
विक्रम संवत २०८१
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