हमें क़िस्मत ने आज़माया है

हमें क़िस्मत ने आज़माया है
हमें ज़िंदगी ने कहां सताया है
याद रक्खा नहीं, भुलाया है
दिल मेरा किस क़दर दुखाया है
लौट आओगे एक दिन तुम भी
दिया उम्मीद का जलाया है
बेबसी इस क़दर रही दिल की
नाम लिख कर तेरा मिटाया है
हमें क़िस्मत ने आज़माया है
हमें ज़िंदगी ने कहां सताया है
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद