Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jan 2025 · 3 min read

देशभक्ति का दर्शनशास्त्र (Philosophy of Patriotism)

चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है । सबको अपनी-अपनी चिंता है। किसी को किसी से कोई लेना-देना नहीं । देश, संस्कृति, सभ्यता, शांति, संतुष्टि, करुणा, मैत्री, भाईचारा एवं समन्वय से सब दूर हटते जा रहे हैं । अपने हित में ही सब रमे हुए हैं । अपना काम निकालकर सब साफ निकल जाते हैं । इस हेतु चाहे उन्हें कुछ भी करना पड़े, वे करने से कतई नहीं हिचकते । ऐसे में कुछ विचारणीय प्रश्न हैं जो सदैव कचोटते रहते हैं । आप भी इन पर सोचिए तथा कुछ करने का संकल्प लीजिए । क्या भारत राष्ट्र के प्रति निष्ठा एवं प्रेम रखना एक अपराध है? क्या देशभक्ति गद्दारी से भी गई बीती बात हो गई है? आजादी के बाद से ही साम्यवादी तथा पश्चिमी सभ्यता में पढ़े-पले व अंग्रेजी के समर्थक बहुत से बुद्धू हर समय यही चिल्लाते रहते हैं कि देशभक्ति व देशप्रेम जैसे कि कोई घोर अपराध व कुकृत्य हो । ये सदैव देशभक्ति व देशप्रेम को कट्टरता कहते हैं तथा इसे देश की उन्नति हेतु एक बहुत बड़ी बाधा मानते हैं ।
अपने राष्ट्र के प्रति निष्ठा व भक्ति रखने से क्या कट्टरता, साम्प्रदायिकता, विद्वेष एवं घृणा फैलती है तथा क्या इससे देश की एकता को कोई खतरा हो सकता है? आज के समय तथा पहले भी वामपंथी, कांग्रेसी, पाश्चात्य जीवन शैली के प्रशंसक तथा वोटों के लालची भेडिये नेता हर समय यह चिल्लाते रहते हैं कि देशभक्ति व देशप्रेम रखने वाले संगठन व लोग देश हेतु बहुत बड़ा खतरा हैं ।
विश्व इतिहास में आज तक एक भी उदाहरण ऐसे राष्ट्र का नहीं मिलेगा जिसमें उसके ही कुछ दल, नेता व व्यक्ति अन्न, जल व हवा तो उसी देश का ग्रहण करते हैं लेकिन अपनी निष्ठा व भक्ति किसी बाहरी राष्ट्र से रखते हैं । हमारे भारत में वामपंथी, अंग्रेजी भाषा के समर्थक तथा पश्चिमी सभ्यात व संस्कृति के संग शिक्षा पाए कांग्रेसी सदैव अन्य देशों की प्रशंसा करते रहते हैं तथा भारत से निष्ठा रखने वाले संगठनों को देशद्रोही, साम्प्रदायिक व देश की एकता के शत्रु घोषित करते रहते हैं । आश्चर्य है कि अधिकतर समय तक ऐसे ही लोगों के हाथों में देश की बागडोर रही हैं ।
विश्व इतिहास में ऐसा उदाहरण भी नहीं मिलेगा जिसमें देश के कुछ राजनैतिक दल, नेता व संगठन अपनी रोजी-रोटी, राजनीति व दिनचर्या देश की निंदा, देशभक्त संगठनों का मजाक करना, देशप्रेम को देश के साथ गद्दारी कहना तथा देश के माहौल को विषाक्त करने को ही देश का सबसे बड़ा हितचिंतक मानना आदि से निर्धारित करते हैं । भारत में ऐसा हो रहा है ।
इन्हें ही सर्वश्रेष्ठ, प्रामाणिक तथा सार्थक माना जाता है । प्रचार से लोगों का मस्तिष्क किस हद तक लकवाग्रस्त किया जा सकता है इसका इससे बड़ा उदाहरण अन्यत्र नहीं मिलेगा । किसी देश के मूल निवासियों को ही उस देश में बहुसंख्यक होने पर भी शर्मिंदगी, अपमान भरा, हीनता की ग्रन्थि से ग्रस्त तथा शरणार्थियों का जीवन जीने पर विवश कर दिया जाए-ऐसा उदाहरण अन्यत्र नहीं अपितु हमारे भारत में ही मिलेगा । यहां पर हिंदुओं को सब तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है । और यह भी पश्चिमी तथा विधर्मी चापलूस व झूठे इतिहासकारों ने प्रचारित तथा स्थापित कर दिया कि हिंदू व आर्य कोई कुछ नहीं हैं, अपितु विदेशी आक्रमणकारियों का समूह या उनकी संतानें हैं । ये सब प्रश्न भारतीयों के सोचने व विचारने हेतु है । प्रतिभावान उसी को माना जाता है, जो बिना किसी भेदभव व लागलपेट के सोचे व उस पर चले भी । ऐसी हिम्मत सब नहीं कर पाते । तो सोचें व विचारें तथा सावधान रहें देश के दुश्मनों से । ऐसे ही धूर्त लोगों की स्वार्थवृत्ति के कारण भारत आज तक असहाय, गरीब एवं घोटालों का गढ़ बना हुआ है ।
आचार्य शीलक राम

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 52 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।
सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।
Abhishek Soni
प्रीत ऐसी जुड़ी की
प्रीत ऐसी जुड़ी की
Seema gupta,Alwar
क़ब्र से बाहर निकलअ
क़ब्र से बाहर निकलअ
Shekhar Chandra Mitra
कुंडलियां
कुंडलियां
Suryakant Dwivedi
"बीज"
Dr. Kishan tandon kranti
चाँद...
चाँद...
ओंकार मिश्र
#अलग_नज़रिया :-
#अलग_नज़रिया :-
*प्रणय प्रभात*
चलो बनाएं
चलो बनाएं
Sûrëkhâ
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तुम्हारे प्यार के खातिर सितम हर इक सहेंगे हम।
तुम्हारे प्यार के खातिर सितम हर इक सहेंगे हम।
सत्य कुमार प्रेमी
नज़र -ए- करम
नज़र -ए- करम
Shyam Sundar Subramanian
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कहो कैसे वहाँ हो तुम
कहो कैसे वहाँ हो तुम
gurudeenverma198
परिंदा
परिंदा
VINOD CHAUHAN
जैसे जैसे हम स्थिरता की ओर बढ़ने लगते हैं हम वैसे ही शांत हो
जैसे जैसे हम स्थिरता की ओर बढ़ने लगते हैं हम वैसे ही शांत हो
Ravikesh Jha
"पुरुष का मौन: दर्दों की अनकही व्यथा"(अभिलेश श्रीभारती)
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
$ग़ज़ल
$ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
आजा न गोरी
आजा न गोरी
Santosh kumar Miri
3363.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3363.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
वक़्त हमने
वक़्त हमने
Dr fauzia Naseem shad
*देना सबको चाहिए, अपनी ऑंखें दान (कुंडलिया )*
*देना सबको चाहिए, अपनी ऑंखें दान (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
Dreamland
Dreamland
Poonam Sharma
शंकर छंद
शंकर छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
फ़िर कभी ना मिले ...
फ़िर कभी ना मिले ...
SURYA PRAKASH SHARMA
"चाहत"
ओसमणी साहू 'ओश'
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
पूर्वार्थ
चीजें खुद से नहीं होती, उन्हें करना पड़ता है,
चीजें खुद से नहीं होती, उन्हें करना पड़ता है,
Sunil Maheshwari
जिस सादगी से तुमने साथ निभाया
जिस सादगी से तुमने साथ निभाया
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
🌹गुलाब देने से अगर मोहब्बत...
🌹गुलाब देने से अगर मोहब्बत...
Vishal Prajapati
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
Dr Archana Gupta
Loading...