इंतज़ार….

इंतज़ार….
इंतज़ार अब भी है, लेकिन अब यह इंतज़ार खामोशी में ढल गया है, पहले की तरह आवाज़ नहीं देंगे तुम्हे, क्युकी अब इस खामोशी को अपना बना लिए है. प्यार अब भी है,
लेकिन अब इसमें शब्दों का रिश्ता नही होगा, जो इकरार पहले था,
वो अब सिर्फ यादों में बसा है, दिल अब भी दुखता है तुम्हारे जाने से, लेकिन अब शिकायत नहीं करेंगे,
क्युकी ये दर्द अपना है, जीना अब भी तुम्हारे साथ का सपना है, लेकिन अब तुम्हे क़िस्मत से मांगने का जुनून नहीं है.
इंतज़ार फिर भी रहेगा, लेकिन अब इस इंतज़ार में उमीद नहीं है, सि एक आखरी खयाल है…!!