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9 Jan 2025 · 1 min read

कितना कठिन है

कितना कठिन है ,
अपनी कहानी लिखना,
कठोर थके हुए कलम से,
आंखों का पानी लिखना।
बोझिल मन को मंजिल तक,
बेमन के पहुंचाना,
कितना कठिन है,
जीवन सार समझाना।
सत्य और मिथ्या से,
गूंथे इस जीवन माला को
अपनी ही परछाई से लड़ते
सहजता से अपनाना।
कितना कठिन है
सपनों के समंदर में,
हकीकत का जहाज चलाना।
कभी आशा की लहरें उठती ,
तो कभी निराशा डुबाती ।
हर मोड़ पर प्रश्न खड़े,
कितना कठिन है,
इन प्रश्नों के उत्तर ढूंढना।
©® डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”

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