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9 Jan 2025 · 1 min read

सोचा था कि नववर्ष में

सोचा था कि नववर्ष में—————–,
बदलेगी हवाएँ पर्यावरण की,
फिजाओं में रौनक होगी,
बहारों में खुशबू होगी,
रात को होगी नई रोशनी,
और कल को नई सुबह होगी।

सोचा था कि नववर्ष में————–,
महक उठेंगे मुरझाये फूल,
चमक उठेंगे बुझे हुए चिराग,
हर चेहरे पर होगी खुशी,
श्रृंगार किये धरती दुल्हन सी होगी,
नया जोश, नई उमंग, नई ताकत होगी।

सोचा था कि नववर्ष में—————-,
नहीं होगा अभावों में किसी का जीवन,
सभी का होगा यहाँ सभी का सम्मान,
नहीं होगा सितम किसी पर,
और हर आदमी का होगा एक प्यारा घर,
कोई काया होगी बिना वस्त्र के।

सोचा था कि नववर्ष में————–,
ईमान और इंसाफ की बात होगी,
नहीं होगा किसी के साथ अन्याय,
सुरक्षित होगी हर महिलायें बदमाशों से,
नहीं होगी हत्या गर्भ में,
नहीं होगा कहीं अनाथालय, वृद्धाश्रम,
हाँ, साल बदला है, मंजर और खबरें नहीं।

सोचा था कि नववर्ष में——————-।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
32 Views
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