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9 Jan 2025 · 1 min read

रोटी

पहले रोटी गोल बनायी जाती है
फिर जनता के बीच लायी जाती है।

कुछ मुद्दे यूँ ही नहीं उछाले जाते
रोटी वहीं तो पकायी जाती है ।

भूख है जो साथ ही नहीं छोड़ती कभी
तभी तो रोटी दिखायी जाती है।

प्रजातंत्र में क्या-क्या नहीं देखे हमने
वोटों के लिए रोटी ही सजायी जाती है।

इतना आसान भी नहीं है यह सियासत
जहाँ मिलजुलकर रोटी खायी जाती है।

सोने-चाँदी,हीरे-जवाहरात किस काम के
भूख तो रोटी से मिटायी जाती है।

अनिल मिश्र प्रहरी।

Language: Hindi
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